अयोध्या नगरि : सनातन धर्म का ध्रुव तारा
अयोध्या, जिसका ज़िक्र वाल्मीकि अपने रामायण में करते हैं, अयोध्या, जो पिछले 500 वर्षों से सनातन धर्म के इतिहास का सबसे बड़ा केंद्र रही है और जहाँ आने वाले हज़ारों वर्षों के लिए इतिहास रचा जा रहा है। वही अयोध्या, जो मेरे रामलला की जन्मभूमि है। आज अयोध्या सनातन धर्म के उस ध्रुव तारे की तरह डगमगा रही है, जो हजारों सालों तक अपनी रोशनी बिखेरता रहेगा।
31 दिसंबर, वर्ष 1997, गाँव के ब्रह्मस्थान पर ज़मीन पर बिछी दरी पर बैठा जय श्रीराम का नाम जाप कर रहा था और वहाँ कई लोग हारमोनियम और ढोल लिए ‘सीता राम जय सीता राम’ का नाम निरंतर गा रहे थे। उस दिन यह एहसास हुआ कि राम नाम में कोई अद्वितीय शक्ति तो है, जो 24 घंटे लोग इस ठंड में अपनी जगह से बिना हिले, बिना रुके राम नाम का जाप कर रहे थे।
हर साल यह सिलसिला चलता रहा और मैं बेसब्री से साल के अंत का इंतजार बस इस लिए करता था कि इस कीर्तन में भाग ले सकूँगा। आगे की पढ़ाई के लिए गाँव से बाहर जाना पड़ा, पर राम नाम मेरे दिल में बैठ चुका था।।
देश की धड़कन राम नाम
आने वाले दशकों में, इस देश के हृदय में अंदर ही अंदर श्रीराम सांस ले रहे थे। 13 सितंबर, 2013 को हिंदू हृदय सम्राट को देश का प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा जाता है, और फिर छिड़ती है एक बहस, जो कि देश के इतिहास को आने वाले 10 सालों में हमेशा के लिए बदलने वाली थी। और अब राम नाम, जो कि बड़ी शांति से लोगों के हृदय में करवट बदल रही थी, उसकी गूंज बड़ी जोर से आने लगी थी।
26 मई, 2014 को इस देश को एक आशा की किरण मिली कि अब अयोध्या नगरी अपने अतीत को फिर से पुनर्जीवित करेगी। आने वाले 10 साल में, इस देश के संतों ने, न्याय व्यवस्था ने, बुद्धिजीवियों ने और अनगिनत ऐसे लोगों ने उस असंभव को संभव बना दिया, जो कि पिछले 500 सालों में बस एक कल्पना मात्र थी और 5 अगस्त, 2020 को नींव रखी गई उस राम मंदिर की, जो आने वाले हजारों सालों तक इस देश का ध्रुव तारा बनेगा और डगमगाता रहेगा।
अयोध्या तीर्थ को प्रस्थान
मैं भी अपने परिवार के साथ उस तीर्थ स्थल को देखने निकला, उस अयोध्या के लाल को देखने निकला, जिन्हें देखकर पहली बार छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब, राजनेता हो या क्लर्क, सबकी आँखों में बस आँसू ही थे। हनुमान गढ़ी पर अयोध्या के रक्षक भगवान हनुमान के दर्शन प्राप्त हुए, सरयू नदी के उस तट पर महसूस किया मेरे राम के कभी वहाँ होने की। लंबे कतार के बाद मैं उस चौखट पर जा रहा था, जहाँ जाने की इच्छा पिछले कुछ महीनों से बहुत बढ़ गई थी।
किसी कवि ने कहा था कि जब वे अयोध्या गए तो नंगे पैर पूरी अयोध्या के दर्शन किए, इस सोच में कि शायद किसी कण में उनके पैर न लग जाए जिस पर कभी राम चले हों। इन्हीं विचारों के साथ जब मैं मंदिर की तरफ जा रहा था तो सड़क के एक लेन को खाली करवा दिया गया था और चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी। पता चला कि गोरखनाथ मठ के महंत और राज्य के मुख्यमंत्री हनुमान गढ़ी के दर्शन करने के बाद रामलला के दर्शन करते हुए किसी सभा में जा रहे थे।
राम लाला के दर्शन
जब राम मंदिर प्रांगण में पहुँचा तो उसकी आने वाले समय में बढ़ने वाली भव्यता से आश्चर्यचकित था। बड़े-बड़े गगनचुंबी मंदिर, इस छोर से उस छोर तक हो रही निर्माण प्रक्रिया देखकर लग रहा था मानो हर एक इंजीनियर एक इतिहास बनाने के कार्य में जुटा हो। इच्छा हुई भगवान फिर बुलाएं, कुछ ही समय में जब मैं इस पूरी भव्यता को फिर से देख सकूं।
धीरे-धीरे मैं उस दिव्य मूर्ति के करीब जा रहा था, जो जीवंत है, जिसमें मेरे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। और मैं बेचैन हो रहा था कतार में उनकी एक झलक पाने के लिए। जब मैं समीप पहुँचा, तो मेरी भी आँखों में आँसू थे; मैं पलक नहीं झपकना चाहता था अपने राम से हटके। मेरे रामलला की सुंदरता ऐसी है कि कोई उनके जैसा फिर जन्म नहीं लेगा। अपने जीवनकाल में एक बार रामलला के दर्शन जरूर कीजिए, क्योंकि आने वाले समय में अयोध्या नगरी ऐसी भव्यता की ओर बढ़ रही है जो हमारी कल्पना से परे है। जय श्री राम ! जय श्री राम! 🙏
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