व्यग्र नहीं व्यथित नहीं !
संयम है संयमित हम !!
यह आक्रोश है द्वेष नहीं।
वेदना है यह व्याकुलता नहीं !!
मानवता की मशाल को !
जलाये रखना चाहते हैं !!
खुद को मिटा दिए हम !
जलाएं ज्योति देश की !!
अब नहीं और नहीं !
सहना है आतंक को !!
तैयार हैं प्रतिकार को !
मिटाने हर आतंक को !!
जल मे भी वायु में भी !
हैं ततष्ठ हम धरती पे भी !!
संकल्प हमारा पर्वत सा है !
सौर्य हमारा है सागर सा !!
अब ना ही कोई सर घटेगा !
ना हटेगा पिता का साया !!
साम से और दाम से !
दंड से भी भेद से भी !!
ऊँचा होगा ध्वज हमारा !
ऊँची होगी हमारी शान !!
महाशक्ति बनके उभरेगा !
मेरा भारत देश महान !!
अब नहीं और नहीं !
सहना है आतंक को !!
तैयार हैं प्रतिकार को !
मिटाने हर आतंक को !!
By – Prerna