मैं याद करूँ तो पहले मित्रों की छाया जो याद आती है वो उनकी है जिनके साथ हम बड़े हो रहे थे। किसी के साथ बैग मे किताबें भरे साइकिल से स्कूल जाया करते थे। तो कई के साथ स्कूल मे क्लास छोड़ वॉलीबॉल खेला करते थे। १५ अगस्त या २६ जनवरी को परेड मे कभी शामिल होते तो कभी साथ स्कूल के बाद लम्बी तफरी काटा करते थे। एक वाट्सऐप ग्रुप बना रखा है , कभी कभार पुराणी कहानियां निकल आती है तो कई घंटे चर्चा होती है।
फिर एक मित्र मिला जो यामहा मोटर साइकिल पर बैठाये मुझे चौक चौराहे घुमाया करता था। आज १७ साल बाद भी उसी तरह मिलते है। जब भी मिलते हैं तो कभी उसके मोटर साइकिल पे तो कभी मेरे मोटर साइकिल पे तफरी काट ते हैं सहर की। आज भी कभी कभी पुराने दिनों को याद करके हम फ़ोन पे हस्स लिया करते हैं। जिंदगी के कई उत्तर चढ़ाव और सुनहरे पलों को हमने साथ जिया और आगे भी उम्मीद है उसकी।
एक ऐसा ही मित्र अक्सर मेरे घर हर दिन मुझे ट्यूशन ले जाने अपनी बाइक लेके आया करता था। हम दोनों एक दूसरे के महत्वपूर्ण पलों मे अपनी जिम्मेदारियों के कारण साथ तो न थे पर उन् पलों मे पीछे से जरूर अपना योगदान दे रहे थे । बरी मुस्तैदी से बहन की शादी मे लगा रहा। आजकल कभी कभी मेरे ब्लोग्स पढ़ के तारीफ किया करता है।
फिर एक ऐसा दोस्त मिला जो सुबह ५ बजे मुझे अपने साइकिल के पीछे बैठा के मैथ की ट्यूशन ले जाया करता था। नोट्स मैं बनाता तो पढ़ा वो करता था। ऐसी मित्रता थी की घरवाले जब भी मैं घर से बाहर होता ,तो उसे फ़ोन करके पूछते की कहा हूँ मैं। मुझे दूसरे सहर जाना था तो ऐसे ही एक दिन उसने बोला “गौरव भाई आदमी कही भी रहे बात हो न हो , सच्ची दोस्ती हमेशा रहती है “। सही ही कहा था उसने , आज पंद्रह साल बाद भी संपर्क मे है , अभी अभी मित्रता दिवस की शुभकामनाये दी है।
फिर दोस्तों की एक समूह मिली, ये वो समय था जब हम प्रोग्रामिंग की और अन्य ट्यूशन किया करते थे। उनके साथ सही मायने मे जिंदगी को समझा। उनसे मित्रता भी थी, कम्पटीशन भी था । पर वो भी अच्छा समय था। आज भी कई संपर्क मे हैं । कोशिश रहती है एक दूसरे के जीवन के हाल समाचार लेते रहें। साथ न हो तब भी कोशिश रहती है वर्चुअल वर्ल्ड मे भी कम से कम संपर्क मे रहा जाए।
जिंदगी आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे सहर ले गयी। वहा भी अन्य अन्य तरह के मित्र बने। कोई बड़े भाई जैसा मिला तो कई के साथ जीवन के इस सफर पे तब से आज तक साथ हैं। ११ सालों से साथ जन्मदिन मनाया , होली मनाई , दिवाली मनाई , नया साल मनाया , सफलताएं मनाई ,विफलताएं साझा की। आज भी ढूंढो तो मिल जाते हैं सब छोड़ छाड़ के।
कुछ ऐसे मित्र मिल गए जो उम्र मे छोटे थे। छोटे भाई जैसा स्नेह देने का कोशिश किया। डांटा भी , समझाया भी ,आगे भी बढ़ने को कहा। आज भी कभी कभार समय निकाल के याद करते हैं तो अच्छा लगता है। उन्हें अपने जिंदगी में आगे बढ़ता देख काफी ख़ुशी होती है ।
कुछ ऐसे मिले जिनसे मिलना लिखा था शायद । कभी कोई लॉ कॉलेज मे साड़ी रात हॉस्टल नाइट्स साथ मनवाता तो कोई अपने लॉज पे १० दोस्तों के साथ जन्मदिन मनवाता। किसी के साथ कई बैठके हुईं अनजाने में पर अब भी संपर्क मे हैं।
कई जो कामकाज के कारणों से मिले पर मित्र बन गए आज भी जुड़ें है अलग अलग माध्यम से। कोई दोस्त बन गया तो कोई बड़ा या छोटा भाई। सुख दुःख में पुछा करते हैं या मिला करते हैं तो अच्छा लगता है।
कई ऐसे लम्हे हैं, कई ऐसे मित्र हैं जो जीवन में अलग अलग पड़ाव पे मिले जो कभी ऐसे ही याद आ जातें है तो ढूंढ लेता हु यहाँ या और कही। आप भी ढूंढ लीजिये उन्हें जिन्हे याद न किया हो , इस मित्रता दिवस के बहाने हाल समाचार ही पूछ लीजिये , अच्छा लगेगा यकीन मानिये।
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