बहुत सारी बातें तुमने कभी पूछी नहीं,
जो तसल्ली से पूछते तो बताता,
बेइंतेहा मोहब्बत की थी तुमसे,
ये अलग बात है ना हम बता पाए,
ना तुम समझ पाए।
यकीन मानो जब तुम चली गई,
फिर ना कोई हमें तुम जैसा मिला ,
बहुत कुछ बताना था सिर्फ तुमसे,
ये अलग बात है ना तुम पूछ पाई
ना हम बता पाए।
हमें किसी ने फिर समझाया नहीं,
कि जीने के लिए खुद का खुशी होना जरूरी था ,
उस दिन अपने हिस्से की खुशी तुम्हारे नाम किया,
ये अलग बात है , खुदा भी बैठा था तसल्ली से ,
हमें आजमाने के लिए बिना तुम्हें बताए।
सच मानो हम तो खुद को समझाने चले थे,
हर एक तुम्हारी बातें भुलाने चले थे ,
बस भुला ना पाए तुम्हारे उस चेहरे को,
जिसे हर रात निहार कर ठंडी आहें भरा करते थे,
और उस चेहरे को भुलाने की कोशिश में खुद को ही भूला बैठे थे।
कभी जो पहले मिलते तो पूछता,
कि क्या तुम्हारी हर वो बातें मजाक थीं,
क्या तुम्हारा प्यार बस एक दिखावा था,
हमने तुमसे प्यार अधूरा पर साथ पूरा चाहा था,
ये अलग बात है, तुम्हारे हिस्से का प्यार झूठा था ,
और तुम्हारे हिस्से का साथ भी झूठा |
नहीं मालूम तुम्हें ये बातें याद भी हैं,
पर अभी भी वो बातें पूरी नहीं हुईं,
जो शायद हम कभी बता ना पाए,
और तुम कभी पूछ नहीं पाई |
वैसे मुझे अब ये लगता है,
कि वो क्या है, मेरे हिस्से का प्यार मैं भुला चुका ,
और तुम्हारे हिस्से का प्यार तुमने कभी किया ही नहीं !!
Read Next: असली इंसान