असली इंसान
असली इंसान वही है जिसकी निर्मलता हो जैसे भक्ति | भक्ति सी हो उसकी शक्ति , जल सी हो उसकी शीतलता, तेज हो उसका अग्नि सा || असली इंसान वही है जो हो काला फिर भी न परे उसे फर्क | या
असली इंसान वही है जिसकी निर्मलता हो जैसे भक्ति | भक्ति सी हो उसकी शक्ति , जल सी हो उसकी शीतलता, तेज हो उसका अग्नि सा || असली इंसान वही है जो हो काला फिर भी न परे उसे फर्क | या
व्यग्र नहीं व्यथित नहीं !संयम है संयमित हम !!यह आक्रोश है द्वेष नहीं।वेदना है यह व्याकुलता नहीं !! मानवता की मशाल को !जलाये रखना चाहते हैं !!खुद को मिटा दिए हम !जलाएं ज्योति देश की !! अब नहीं और नहीं !सहना है